Considerations To Know About piles treatment medicine

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नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें।

पाइल्स सूजे हुए और बढ़े हुए रक्त वाहिकाएं हैं जो गुदा और मलाशय के अंदर या बाहर बनते हैं। वह सबसे आम एनोरेक्टल स्थिति हैं। वे दर्दनाक, असहज हो सकते हैं और मलाशय से खून निकलने का कारण बन सकते हैं।  

एक हफ़्ते के बाद भी बवासीर में सुधार न होना

लगातार दबाव के साथ बवासीर को धीरे से पुश करना।

क्या बवासीर के लिए योग या व्यायाम मददगार होता है?

पाइल्स से राहत पाने के लिए खाना सबसे अहम है. डाइट में खूब सारी हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालें शामिल करें.

हरितकी (हरड़): यह मल त्याग को सुगम बनाती है।

आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है। जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों read more में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।

बवासीर के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए?

हर रोज़ गुनगुने पानी में बैठकी स्नान करें, इससे सूजन और दर्द कम होता है।

कभी भी खुद से दवा न लें, विशेषज्ञ की सलाह लेते रहें।

कोलोनोस्कोपी : किसी भी असामान्य वृद्धि, लाल या सूजे हुए ऊतक, घावों (अल्सर), या रक्तस्राव की जांच के लिए डॉक्टर कोलोनोस्कोप (लंबी, लचीली, रोशनी वाली ट्यूब) का उपयोग करके पूरे कोलन की जांच कर सकते है।

और पढ़ें – बवासीर के दर्द में सुगन्धबाला के फायदे

मोटापा: पेट बढ़ने के कारण गुदा की मांसपेशियों में दबाव बढ़ता है। इससे बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।

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